What is Computer Virus in Hindi – कंप्यूटर वायरस क्या है

नमस्कार दोस्तों मैं आपको आज के इस अध्याय में कंप्यूटर वायरस से संबंधित जैसे वायरस की जांच करना एवं उसको हटाना के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाला हूं।

वायरस की जांच करना एवं उसको हटाना – जब तक आप पूरी तरह से प्रभावी सुरक्षा उपाय नहीं करेंगे।

तब तक कंप्यूटर और उसमें सुरक्षित डाटा वायरस अथवा अन्य मालवेयर के खतरे में रहेगा।

जबकि कुछ उपाय ऐसे हैं जिनको अपनाकर आप अपने घर और ऑफिस दोनों के ही कंप्यूटरों को नुकसान होने से बचा सकते हैं।

कम्प्यूटर वायरस के प्रकार – 

1. बूट सेक्टर वायरस 2. मैक्रो वायरस

1. बूट सेक्टर वायरस से अपने कंप्यूटर को बचाने के अवसर बढ़ाने के लिए आपको अपने कंप्यूटर को ड्राइव A में फ्लॉपी डिस्क के साथ स्टार्ट नहीं करना चाहिए।

सभी फ्लॉपी डिस्क में बूट सेक्टर होता है।

स्टार्ट होने की प्रक्रिया के दौरान कंप्यूटर ड्राइव A में मौजूद डिस्क के बूट सेक्टर को अमल में लाने की कोशिश करता है।

यदि यह प्रयास बेकार चला जाता है तो भी फ्लॉपी डिस्क के बूट सेक्टर में मौजूद किसी भी वायरस से कंप्यूटर की हार्ड डिस्क संक्रमित हो सकती है।

2. मैक्रो वायरस –

कंप्यूटर को मैक्रो वायरस से बचाने के लिए आप मैक्रो लिखने की सुविधा देने वाली सभी एप्लीकेशनों में मैक्रो का सिक्योरिटी लेवल लगा सकते हैं।

जैसे माइक्रोसॉफ्ट वर्ड आपको चेतावनी देगा कि जिस डॉक्यूमेंट को आप खोलने जा रहे हैं उसमें मैक्रो है।

इस चेतावनी के बाद आप मैक्रो को खोलें या बंद रखें यह आप पर निर्भर है।

डॉक्यूमेंट किसी भरोसेमंद स्रोत से आया है तो उसे खोला जा सकता है अन्यथा छोड़ा जा सकता है।

• आप अपने कंप्यूटर को वायरस अटैक से बचाने के लिए एंटीवायरस प्रोग्राम स्टॉल करा सकते हैं।

इसे नियमित रूप से अपडेट करना होगा।

एक एंटीवायरस प्रोग्राम कंप्यूटर को वायरस अटैक से बचाता है।

यह मेमोरी, स्टोरेज मीडिया या किसी आने वाली फाइल पर मौजूद वायरस को पहचानता है और उसे खत्म करता है।

ज्यादातर एंटीवायरस प्रोग्राम वार्म और होर्सेज से भी बचाते हैं।

अक्सर एंटीवायरस सॉफ्टवेयर पैकेज नए कंप्यूटर के साथ ही उपलब्ध कराए जाते हैं।

• एंटीवायरस प्रोग्राम इन प्रोग्रामों को स्कैन करता जो बूट प्रोग्राम ऑपरेटिंग सिस्टम और दूसरे प्रोग्रामों को बदलने की कोशिश करते हैं।

एंटी वायरस

कई एंटीवायरस प्रोग्राम भी अपने आप उन फाइलों को स्क्रीन करते हैं जो वेब ईमेल अटैचमेंट या आपके द्वारा खोली गई फाइलें और जिप डिस्क आदि से प्राप्त करते हैं।

• एंटीवायरस प्रोग्राम वायरस की पहचान वायरस सिग्नेचर देखकर करते हैं।

वायरस सिग्नेचर को वायरस डेफिनेशन भी कहा जाता है।

यह बहुत आवश्यक है कि आप अपने एंटीवायरस प्रोग्राम के सिग्नेचर फाइलों को अपडेट करते रहे, जिससे नए खोजे गए वायरसों को यह जवाब दे सके।

यह कदम आपके एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को उस वायरस से बचाता है, जो आपके एंटीवायरस प्रोग्राम के रिलीज होने के बाद तैयार किए गए हैं।

ज्यादातर एंटीवायरस प्रोग्राम नियमित अंतराल के बाद अपने फीचर ऑटोमेटिक अपडेट करते रहते हैं।

वेंडर इस सेवा को बिना किसी कीमत के एक खास अवधि के लिए उपलब्ध कराते हैं।

एक बार जब कोई एंटीवायरस प्रोग्राम किसी संक्रमित फाइल को पहचान लेता है तो वह उसके वायरस खत्म करने का प्रयास करता है।

यदि एंटीवायरस प्रोग्राम उस वायरस को खत्म नहीं कर पाता तो यह संक्रमित फाइल को अक्सर दूसरी फाइलों से अलग कर देती है, जिसे क्वारेनटीन्स कहते हैं।

क्वारेनटीन्स हार्ड डिस्क में एक अलग क्षेत्र होता है जो संक्रमित फाइल के लिए होता है जब तक कि आप उसे खत्म नहीं कर देते।

इस कदम से यह सुनिश्चित हो जाता है कि इस फाइल से दूसरी अन्य फाइलें संक्रमित न हो।

वायरस

वायरस को पहचानने एवं उसे खत्म करने के अलावा भी ज्यादातर एंटीवायरस प्रोग्राम संक्रमित फाइलों और प्रोग्रामों को रिमूव अथवा रिपेयर करने का गुण भी रखते हैं।

बूट सेक्टर वायरस के लिए एंटीवायरस प्रोग्राम रेस्क्यू डिक्स के साथ कम्प्यूटर को रिस्टार्ट करने की सलाह देता है।

रेस्क्यू डिस्क या इमरजेंसी डिस्क रिमूवेबल डिस्क होती है जिसमें मुख्य ऑपरेटिंग सिस्टम कमांड की असंक्रमित कॉपी और स्टार्टअप इंफोर्मेशन होती है जो कम्प्यूटर को सही से रिस्टार्ट करने में सहायक होती है।

स्टार्टअप होने पर रेस्क्यू डिस्क बूट सेक्टर वायरस को खोजकर उसे रिमूव कर देती है।

फ्लॉपी डिस्क और जिप डिस्क रेस्क्यू डिस्क जैसी सेवाएं ही देती हैं ।

एक बार जब आप रेस्क्यू डिस्क का इस्तेमाल कर कम्प्यूटर को रिस्टार्ट करते हैं तो एंटीवायरस प्रोग्राम क्षतिग्रस्त प्रोग्राम को रिपेयर करने की कोशिश कर सकता है।

यदि यह उस फाइल को रिपेयर नहीं कर सकता तो आपको इसकी असंक्रमित बैकअप कॉपी के साथ इसे रिप्लेस अथवा रिस्टोर करना होगा।

कम्प्यूटर CD या Pen Drive लगाकर उसे Open करने से पहले उसे एन्टीवायरस प्रोग्राम में स्कैन करना चाहिए।

एन्टीवायरस प्रोग्राम को यदि कोई वायरस मिलता है तो वह उसे Remove कर देगा अथवा उस फाइल को Delete करने के लिए आपसे पूछेगा।

Virusfree होने पर दी गयी Pen Drive को Open करें

कम्प्यूटर को स्कैन करने तथा वायरस को Remove निम्ननुसार करे –

(i) एन्टीवायरस प्रोग्राम को रन करें ।

(ii) हार्ड डिस्क के समस्त पार्टिशन को स्कैन करने के लिए सलेक्ट करें ।

(iii) फिर स्क्रीन बटन पर क्लिक करके स्कैनिंग प्रक्रिया को शुरू करें । इस प्रक्रिया में 20 से 30 मिनट तक लग सकते हैं ।

(iv) कम्प्यूटर को इन्टरनेट से जोड़ें ।

(v) एन्टीवायरस का Update option चलाए ।

(vi) यह प्रक्रिया सप्ताह में कम से कम एक बार अपनाएं ।

वायरस रिमूव करने के लिए हार्ड डिस्क को रिफोरमेट करना केवल अत्यंत गंभीर केसों में ही जरूरी होता है।

ताकि सभी फाइलों का असंक्रमित और साफ बैकअप उपलब्ध रहे।

यदि वायरस आपके कम्प्यूटर को संक्रमित कर रहा हो तो ऐसे वायरस को तुरंत रिमूव कर देना चाहिए।

इसके अलावा यदि आप अपने डाटा का किन्हीं या किसी दूसरे यूज़र के साथ बांट रहे हैं जैसे ई – मेल अटैचमेंट , फ्लॉपी डिस्क अथवा जिप डिस्क के जरिए तो उन्हें भी अपने वायरस के बारे में पूरी जानकारी देकर आगाह कर दें।

इससे वे यूज़र अपने सिस्टम चैक कर लेंगे कि कहीं उनके सिस्टम में भी तो वायरस का संक्रमण नहीं हुआ है।

संक्षेप में कम्प्यूटर को वायरस के संक्रमण से बचाने के हेतु महत्त्वपूर्ण बिन्दु निम्न प्रकार हैं –

A. हमेशा पेन ड्राइव या CD को उपयोग में लेने से पूर्व उसे एन्टीवायरस प्रोग्राम से स्कैन करे ।

B. पायरेटेड सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर में स्थापित न करें ।

C. अनायश्यक प्रोग्राम्स् व फाइल इन्टरनेट से डाउनलोड न करें ।

D. एन्टीवायरस प्रोग्राम की लाइसेंस कॉपी कम्प्यूटर में स्थापित करके उसे समय – समय पर नेट से अपडेट करते रहें ।

E. महीने में कम से कम एक बार हार्डडिस्क को स्कैन करावें ।

F. अज्ञात स्त्रोत से प्राप्त ई – मेल को अपने कम्प्यूटर में डाउनलोड न करें ।

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